मंगलवार, 13 अगस्त 2013

देश में गंभीर टोपी-चिंतन


 


रहमान मियाँ के घर से ईद की दावत खाकर जैसे ही घर पहुंचा,श्रीमती जी मुझे देखकर घबड़ा गईं। वे एकदम से बोल पड़ीं,’यह क्या गज़ब कर दिया ? आपने भी टोपी पहन ली ?’मैंने विस्मित होते हुए पूछा,’क्यों ,क्या हुआ ? रहमान भाई ने ईद-मिलन के मौके पर यह खूबसूरत टोपी पहनाई है। इसमें हर्ज ही क्या है ? होली पर जब वो हमारे यहाँ आते हैं तो हम भी उन्हें अबीर-गुलाल लगाते हैं। वो तो कभी बुरा नहीं मानते।

श्रीमती जी ने अपनी चिंता का खुलासा करते हुए कहा,’ टीवी में गंभीर टोपी-चिंतन चल रहा है। लोग इस बात को लेकर भिड़े हुए हैं कि एक नेता ने टोपी पहन ली। मुझे लगा कि टोपी पहनना कोई बड़ी समस्या है। उससे कोई आफत या बड़ी मुसीबत आने वाली है। क्या सचमुच में ऐसा है ?’। बात पूरी तरह मेरी समझ में अभी भी नहीं आई थी। मैंने अपनी टोपी उतारकर श्रीमती जी को पकड़ाई और सीधे जाकर टीवी के सामने बैठ गया।

सब जगह टोपी-विमर्श हावी था। सबसे आगे रहने  वाले समाचार चैनल पर दो नेता गंभीर टोपी-विमर्श में व्यस्त थे। एक तरफ हमेशा टोपी लगाने वाले नेता थे तो उनके सामने वे नेता थे जिन्होंने आज ही टोपी लगाई थी। हमेशा टोपी लगाने वाले नेता जी ने सवाल किया,’अजी ,आपने आज ही टोपी क्यों लगाई ? पिछले नौ सालों से आप क्या कर रहे थे ? अब जब चुनाव आ रहे हैं तो झट से टोपी पहन ली । ऐसे में सवाल तो उठेगा ही। अचानक टोपी लगाकर सुर्ख़ियों में आये नेता जी बोले,’देखिये ,आप आज़ादी के बाद से टोपी लगा रहे हैं,हमें बुरा नहीं लगा। हमने एक दिन लगा ली तो आपको परेशानी हो रही है। हम तो अब टोपी लगाकर ही रहेंगे। आप जितना चिल्लायेंगे,यह टोपी उतनी ही कामयाब होगी

अनुभवी टोपी-धारक नेता जी फिर भी मानने को तैयार न थे। वे कहने लगे,’आप जिसे प्रधानमंत्री बनाने के लिए तैयार हैं,वो तो टोपी से डरते हैं। टोपी लगने की आशंका से ही साफा पहन लेते हैं। ऐसा व्यक्ति जो टोपी लगाना नहीं चाहता,क्या खाक देश चला पाएगा ? टोपी लगाने का पेटेंट हमारे नाम है और इसका आप सीधा-सीधा उल्लंघन कर रहे हैं। ताज़ा टोपी लगाने वाले नेता जी अब जोश में आ गए थे,कहने लगे,’हम टोपी लगाने को लेकर दोनों विकल्प खुले रखते हैं। जब जैसी ज़रूरत होती है,वही अपना लेते हैं।  हम टोपी लगाने और न लगाने वाले दोनों के साथ हैं। जैसे ही हमें जानकारी मिली कि टोपी लगाने वाला ही टॉप रहता है तो लगा ली। अब ये भी गुनाह है ?’

टोपी वाले नेता ने मेज पर मुक्का मारते हुए कहा,’फिर आप लोगों ने थोड़े दिन पहले टोपी पहनने वाले नेता से नाता क्यों तोड़ लिया ?वह तो टीका लगाने को भी तैयार था। एकदिनी टोपी वाले नेता जी ने आवाज़ में सख्ती लाते हुए कहा ,’हम बगैर टोपी लगाये बहुत रह लिए ,अब लगाने का अनुभव लेंगे। टोपी लगाने पर आपका एकाधिकार नहीं है

विमर्श लम्बा खिंच रहा था। श्रीमती जी ने तभी आवाज़ दी,’अजी,कुछ पता चला ?’मैंने टीवी ऑफ करते हुए कहा,’तुम चिंता न करो,उनकी टोपी सियासी है ,जबकि हमारी वाली आपसी भाई-चारे की। इससे किसी का नुकसान या फ़ायदा नहीं होगा।

 
राष्ट्रीय सहारा में १३/०८/२०१३ को प्रकाशित

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