बुधवार, 30 जनवरी 2013

चिंतन शिविर और चाय चिन्तन !

30/01/2013 को DLA में.....

चिंतन-शिविर को लेकर हमारे मन में बड़ी उत्सुकता थी,इसलिए इसको नजदीक से देखने के लिए हम जयपुर पहुँच गये।वहां हमारे पहुँचने से पहले ही कई वरिष्ठ पत्रकार जमे हुए थे।बैठक शुरू होने में थोडा विलम्ब था,इसलिए हम इधर-उधर टहलने लगे।देखा,एक जगह भीड़ लगी हुई थी।हमने स्वभावतः सोचा कि चिंतन-बैठक के बारे में कोई नेता अपना बयान जारी कर रहा होगा,पर पास जाने पर दूसरा ही नज़ारा मिला।लोग चाय के स्टाल पर अपना नंबर लगाये,हाथ में कुल्हड़ पकडे खड़े थे।हमने एक वरिष्ठ सज्जन से पूछा कि चाय के लिए इत्ती मारामारी ?वे लगभग दार्शनिक मुद्रा में समझाते हुए बोले,’लगता है आप पहली बार ‘चिंतन-शिविर’ में आये हैं।पिछले वाले में तो हम थोड़ा चूक गए थे और बाद में हमारे हाथ में कुल्हड़ भी नहीं सुरक्षित बचा था।’

हमने इस शिविर की गंभीरता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यहीं से देश के लिए डेढ़ साल की दिशा तय होनी है।इसलिए हम तो यहाँ खांटी-खबर ढूँढने आये हैं।हमारी बात सुनकर वो कुछ बोले नहीं ,बस मुस्कुराकर रह गए।तब तक तम्बू में थोड़ी हलचल हुई और पता चला कि मैडम जी आ गई हैं।हमने अपने को एकदम चिंतन-मूड में परिवर्तित कर लिया और मैडम के उद्बोधन की प्रतीक्षा करने लगे।मैडम फुर्ती से मंच पर चढ़ीं और उनके उत्साही कार्यकर्ताओं ने बैठने से पहले ही उन्हें मालाओं से लाद दिया।वे लगातार मुस्कुराए जा रहीं थीं। हमारी आशा के विपरीत उनके चेहरे पर चिंता के कोई लक्षण नहीं थे।स्वागत-सत्कार और कैमरों के फ्लैश के बीच आखिरकार उन्होंने माइक संभाल लिया ।

वे परचा पढ़ने लगीं,’हम अपने कार्यकर्ताओं से केवल इतना कहने आये हैं कि वे कतई चिंतित न हों,जिस तरह हम सरकार चलाकर निश्चिन्त हैं,आप भी आत्म-विश्वास बनाये रखें।आप लोगों में अतिरिक्त ऊर्जा के लिए हम बीच-बीच में प्राकृतिक-ईंधन का सहारा ले लेते हैं,इसलिए हमारे रहते आप भी निश्चिन्त रहें।इस चिंतन-शिविर का उद्देश्य है कि हम देश के हालात पर औपचारिक रूप से चिंतित हैं।हमें महिलाओं के शोषण और अत्याचार की हर दिन जानकारी मिलती रहती है,जिस पर हम लगातार चिंतित हैं।आम आदमी के बारे में सोचने का हमारा अधिकार है,इसलिए हमने अपना हाथ उसी के पास रखा हुआ है।इस बात से हमें सबसे ज्यादा फायदा यह है कि जब भी देश के विकास के लिए ज़रूरी हुआ,हम उसकी जेब साफ़ कर देते हैं।इसमें हमारा कोई निजी स्वार्थ नहीं है।हम पिछले नौ सालों की उपलब्धि से इतना प्रभावित हुए हैं कि जनता के लिए सिलेंडर की संख्या छः से नौ कर दी है।यह इस बात का भी संकेत है कि यदि चौदह में हम फिर से आये तो यह गिनती उसी अनुपात में बढ़ भी सकती है।

हम महिलाओं के अत्याचार से निपटने में पूरी तरह सक्षम हैं।जिस तरह पिछले साल हम भ्रष्टाचार से निपटे,उसी नीति से हम इससे भी निपट लेंगे।कल लोकपाल-लोकपाल चिल्लाने वाले आज पैदल घूम रहे हैं।इसी तरह महिलाओं के अत्याचार पर हम नियंत्रण पा लेंगे।इसकी शुरुआत इसके आन्दोलन को नियंत्रित करके कर दी गई है।हमने अपनी बैठक जयपुर में इसलिए भी आयोजित करी है कि हमें युवराज के लिए जय के सिवा कुछ नहीं चाहिए।’इस दौरान एक उत्साही कार्यकर्त्ता ने अपना हाथ उठाया,पर मैडम ने उसे वहीँ रोक दिया।वे कहने लगीं,’आपको चिंतन की आवश्यकता नहीं है।उसके लिए हम बैठे हैं।आप लोग बिलकुल चिंता न करें।जब तक हम चिंतन करते रहेंगे,चिंता तो आम आदमी को करनी है कि हमें छोड़कर वह किसका दामन पकड़े ? भाषण कुछ लम्बा खिंच रहा था और हमें जम्हाई आने लगी थी,सो चाय के स्टाल की तरफ हम मुड़ लिए,पर हाय हमारी किस्मत,तब तक वहां अफरा-तफरी मच गई थी।कई पत्रकार हाथ में कुल्हड़ लिए ही भाग रहे थे।हमें लगा कि पंडाल के चिंतन से चाय-चिंतन ज्यादा खतरनाक है।इसलिए फिर से पंडाल के अन्दर हो लिए।



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