रविवार, 12 अगस्त 2012

तुसी लन्दन ज़रूर जाओ !



२१/०७/२०१२ को जनसंदेश में !


तुसी लन्दन ज़रूर जाओ !

अगले महीने लन्दन में ओलम्पिक खेल होने वाले हैं.हर देश की तरफ से खूब ज़ोर-आज़माइश हो रही है कि उसका वहाँ पर अच्छा प्रदर्शन कैसे हो,पर हमारे देश में इस बात पर लट्ठ चल रहा है कि वहाँ कौन-कौन जाए ! पहले भूपति और पेस को लेकर खूब रार मची तो पाया गया कि इसके लिए दो टीम बना दी जांय,जिससे सब लोग अडजस्ट हो सकें.अब जब खेल के खिलाड़ी तय हो गए तो राजनीति के खिलाड़ी क्यों पीछे रहते ? इनका नया खेल शुरू हो गया है और लगता है कि यह ओलम्पिक का सबसे दिलचस्प इवेंट होगा.

हमारे यहाँ कामनवेल्थ खेलों में दोनों हाथों से कुल्हाड़ी मारकर पैसा बटोरने वाले नेता को अदालत ने ओलम्पिक में शामिल होने की छूट दे दी तो उनको ग़लतफ़हमी हो गई है कि वे ओलम्पिक खेलों के लिए क्वालीफाई कर गए हैं.इस आदेश से वे बहुत खुश हैं और उन्हें पक्का यकीन है कि यदि वे वहाँ गए तो कामनवेल्थ खेलों से भी ज़्यादा नाम कमाकर वहाँ से लौटेंगे.फ़िर,हमारे एथलेटिक्स के एक कोच ने भी कहा है कि कुल्हाड़ी जी के रहते खिलाड़ियों को ज़बरदस्त प्रेरणा मिलेगी.वे उन्हें स्टेडियम में देखते ही जोश से भरकर दौड़ लगाएंगे.जो व्यक्ति कामनवेल्थ से सीधे ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई कर गया हो,बिना खेल के खूब खेलता हो,वह तो सबसे बड़ा खिलाड़ी हुआ ना ?

इधर कुल्हाड़ी जी बढती हुई लोक-प्रियता से मंत्री मक्खन सिंह खासे नाराज़ हैं.उन्होंने पहले बकायदा फरमान जारी किया कि वे लन्दन कतई नहीं जा सकते,पर बाद में अपनी हैसियत को सिकोड़ते हुए बोले हैं कि उनसे अपील की जाती है कि वे हमारी नाक का ख्याल रखें.अब मक्खन सिंह को कौन समझाए कि कुल्हाड़ी जी की नाक तो इस समय ज़मानत पर है फ़िर वो हमारी नाक से ही तो काम चलाएंगे.ऐसे में वह नाक ऊंची करने का कोई मौका क्यों छोडना चाहेंगे ? ओलम्पिक में जहाँ बड़े-बड़े खिलाड़ी जाने के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाते,वहाँ अगर वो जा पा रहे हैं तो इससे हमारी नाक ही ऊंची हो रही है.कुल्हाड़ी जी ने कह दिया है कि मक्खन सिंह अपनी नाक बचाएं,देश को हमारे भरोसे छोड़ दें.

मुझे लगता है कि कुल्हाड़ी जी को लन्दन ओलम्पिक में अवश्य जाना चाहिए.खेलों में तो हमारी रेटिंग की वज़ह से ब्रिटिश-मीडिया हमें कोई भाव ही नहीं देगा.अगर ऐसा खिलाड़ी हमारे पास है जो बिना खेले करोड़ों में खेलता है तो ज़रूर उस पर वहाँ कवर-स्टोरी छापी जायेगी.दूसरी सबसे खास बात है कि लन्दन-ओलम्पिक के प्रशासक भी उनके आने से खासे उत्साहित हैं.उन्हें कुल्हाड़ी जी ऐसी-ऐसी नायाब टिप्स दे देंगे कि वे भी नाले,पुल,रेलिंग,स्टेडियम आदि में कमाई के निर्वात-स्थान को आसानी से खोज लेंगे.उन अधिकारीयों को यह भी सुखद अहसास है कि ऐसे अविकसित मुल्क में यदि कोई बन्दा खुद इतना विकसित हो जाता है,उसका कुछ बिगड़ता नहीं है,तो ज़रूर उसमें अलग खासियत होगी.अब तो उन अफसरों को लगने लगा है कि कुल्हाड़ी जी के आने से जेम्स-बांड भी उनका कुछ बिगाड़ नहीं पायेगा.



इसलिए हम तो कहते हैं कि कुल्हाड़ी जी को लन्दन ज़रूर जाना चाहिए.हमारे देश की नाक कम-से-कम किसी बात में ऊंची तो हो !


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